वेनेजुएला में 28 जुलाई को हुए विवादित राष्ट्रपति चुनाव और उसके बाद राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन द्वारा विपक्ष पर की गई कार्रवाई ने इस तेल समृद्ध देश में राजनीतिक विभाजन को और गहरा कर दिया है। नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल के मुताबिक, ह्यूगो चावेज की मौत के बाद 2013 से राष्ट्रपति रहे मादुरो ने 51 फीसदी मत हासिल किए, जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी एडमंडो गोंजालेज को 43 फीसदी मत मिले। लेकिन विपक्ष का दावा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों द्वारा जारी किए गए मिलान-पत्र (टैली शीट) से गोंजालेज की स्पष्ट जीत का पता चलता है। विपक्ष के दावे को अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल हुआ, जबकि मादुरो को अपने चुने जाने की पुष्टि खुद के चुने गए सुप्रीम कोर्ट के जरिए हासिल हुई। पद छोड़ने की अपील को खारिज करते हुए, उन्होंने दमनकारी कार्रवाई शुरू कर दी है। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, चुनाव नतीजों के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 24 लोग मारे गए हैं और 2,400 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पिछले हफ्ते, पुलिस ने कराकस में अर्जेंटीना दूतावास को घेर लिया था जहां कुछ विपक्षी हस्तियों ने शरण ले रखी थी। मादुरो ने पहले ही अर्जेंटीना के राजनयिक मिशन को बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उसके राष्ट्रपति जेवियर माइली ने गोंजालेज का समर्थन किया था। सेवानिवृत्त राजनयिक गोंजालेज, जिन पर विरोध प्रदर्शन भड़काने का आरोप है, 7 सितंबर को देश छोड़कर स्पेन भाग गए।
यह चुनाव शुरू से ही निष्पक्ष नहीं रहा। मादुरो का मुकाबला करने के वास्ते विपक्ष की मूल पसंद पूर्व सांसद मारिया कोरिना मचाडो थीं। मादुरो के सहयोगी, महा-नियंत्रक (कॉम्पट्रोलर-जनरल) द्वारा उनके खिलाफ सार्वजनिक पद संभालने पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, गोंजालेज को बाद में मैदान में उतरने के लिए चुना गया था। चुनाव प्रक्रिया अपने-आप में विवादित थी और मतदान होने के तीन सप्ताह बाद भी, अधिकारियों ने अभी तक अलग-अलग मतदान केंद्रों के नतीजे जारी नहीं किए हैं। गोंजालेज का पलायन राज्य की हर शाखा पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेने वाले मादुरो के लिए एक अस्थायी जीत हो सकती है, लेकिन उनकी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। वेनेजुएला, जो अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन है, तेजी से आर्थिक गिरावट और घनघोर गरीबी में इजाफे का गवाह बन रहा है। हाल के वर्षों में बेपनाह महंगाई, आर्थिक संकुचन और भोजन एवं दवाओं के अभाव के बीच लगभग 7.7 मिलियन लोग पलायन कर गए हैं। मादुरो को बढ़ते क्षेत्रीय दबाव से भी रूबरू होना पड़ रहा है। यहां तक कि ब्राजील, चिली और कोलंबिया की वामपंथी सरकारों ने भी उनसे संपूर्ण नतीजे प्रकाशित करने का आग्रह किया है। वेनेजुएला और ब्राजील के बीच तनाव उस वक्त खुलकर सामने आ गया जब मादुरो शासन ने अर्जेंटीना के दूतावास के प्रबंधन और प्रतिनिधित्व से संबंधित ब्रासीलिया के प्राधिकार को रद्द कर दिया। अपनी वैधता पर उठते सवालों के बीच, प्रतिबंधों से प्रभावित व कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था, विभाजित घरेलू राजनीति और विदेशों में बढ़ते अलगाव से जूझते मादुरो एक तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने चावेज की लोकप्रिय बोलिवेरियन परियोजना को समाजवादी बयानबाजी से लैस एक व्यक्ति के शासन में तब्दील कर दिया है। इससे उन्हें फिलहाल सत्ता पर बने रहने की गुंजाइश तो मिल जाएगी, लेकिन वेनेजुएला के लोगों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
Published - September 12, 2024 10:31 am IST